तेरे सफर से जुदा है सफर मेरा
तुझे थकने का इंतजार, मुझे चलने की जुस्तजू।
23 अक्टूबर-11
मंजिलें चूमेंगी कदम, रास्ते मुसकाएंगे
राहों को तन्हा न रखना, फासले मिट जाएंगे।
23 अक्टूबर-11
मुस्कुराहटों का दामन थामे रखना
राह में दुश्वारियां हैं बहुत
29 अक्टूबर-11
तेरी छुअन से महके थे जो फूल, सूख भी गए तो क्या
मेरे ख्यालों से तेरी खुश्बू कभी मिट ना पाएगी।
30 अक्टूबर-11
जिंदगी की फिक्रें बड़ी बेरहम होती हैं,
बचपन को मसल देती हैं किसी फूल की तरह।
2 नवंबर-11
उनकी इस अदा का कोई इल्म नहीं था
देखा इक नजर और सब लूट ले गए
2 नवंबर-11
बदलना मौसम का मिजाज है, हवाओं की शरारत नहीं
ये तो खुशबुओं की सौदागर हैं, कभी इधर की कभी उधर की
3 नवंबर-11
1 comment:
bhai kaya boloo...
samanjh nahi aa raha..
Post a Comment