29 जनवरी को कुछ ट़वीट किए थे। उनमें से तीन निकालकर ब्लॉग पर डालने का मन किया। पिछली पोस्ट की तरह इनकी भी कोई भूमिका नहीं लिख रहा।
बच्चों के बिना सूना है मेरे कमरे का गलीचा
सोफे पे खिलौने भी गुमसुम से पड़े हैं
होती नहीं टेडी की आपस में बातचीत
नाराजगी में इनके भी तेवर से चढ़े हैं
मुमकिन है बाप कुछ खिंचे खिंचे से रहें
दिल में तो इनके भी अरमान बड़े हैं
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