प्लास्टिक की पाइप में भरा चूरन याद है? और सरकंडे के आगे कागज की चक्करी लगाकर गली-गली दौडऩा? याद होगा। नहीं याद तो याद कीजिए स्कूल में रिसेस से पहले ही चुपके से टिफिन खोलना और अचार के साथ एक परांठा खा लेना। या फिर वो पहली पेंटिंग जिसे बनाकर अपने कमरे की एक दीवार पर सेलो टेप से चिपकाया था। ज्येमेट्री बॉक्स में रखे वो हरे पत्ते जिनके बारे में पूछने पर हम बताते थे कि यह विद्या का पौधा है, साथ रखो तो पढ़ाई अच्छी आती है। मुझे आज यह सब याद आ रहा है। और भी बहुत कुछ याद आ रहा है। जैसे वो कटी पतंग लूटने के लिए ऊंची दीवारों से छलांग लगा देना। और वो दस पैसे की दो रोचक (हाजमोला) की गोलियां। बचपन की इन खट्टी-मीठी यादों में झांकने की वजह है एक कविता। कुछ दिन पहले ऑफिस में गुंजन में अपनी फेसबुक फ्रेंड प्रतीक्षा पांडे की इस कविता को लाइक किया था। फिर एक एक कर सबको इसे पढ़वाया। इस कविता को पढ़ते ही तय किया कि इसे ब्लॉग पर डालूंगा। लेकिन 10 दिन से वक्त नहीं मिल पाया। आज मौका मिलते ही आप तक इसे पहुंचा रहा हूं... उम्मीद है पसंद आएगी।
मां
जब वो पुराना बक्सा खाली करना
तो ध्यान से देखना
उस गहरे हरे रंग के बैग
और सफेद कवर वाली रजाई के बीच
परतों में मुड़ी हुई
एक याद रखी होगी
मिलेगा एक फटा हुआ पन्ना चंपक का
ऊपर भोलू भालू लिए खड़ा होगा
मेरी प्लास्टिक की गेंद
शायद निकले एक दुलहन की तरह सजी हुई गुडिय़ा
जिसकी एक आंख गायब होगी
और बाल बिखर गए होंगे
एक ज्योमेट्री बॉक्स भी होगा
अंडरटेकर के स्टिकर के साथ
और एक वॉटर कलर पेंटिंग
जिस पर सूरज मुस्कुराता होगा
सुनो आहिस्ता खींचना इन्हें
वरना कुछ कंचे गिरकर बिखर जाएंगे
और उसके ऊपर फिसलकर भाग जाएगा
बीता हुआ वक्त
तुम चेल्पार्क की इंक से
नोट कर लेना हर एक सामान
अपने मन के उन पीले पन्नों पर
जिन्हें तुम बंद करके भूल गईं
पुरानी अठन्नियों सा फिजूल न होने देना
तुम याद का हर वह टुकड़ा
जो फेनोप्थेलीन की गोलियों सा महकता
उस पुराने बक्से में रखा है
मां
जब वो पुराना बक्सा खाली करना
तो ध्यान से देखना
उस गहरे हरे रंग के बैग
और सफेद कवर वाली रजाई के बीच
परतों में मुड़ी हुई
एक याद रखी होगी
मिलेगा एक फटा हुआ पन्ना चंपक का
ऊपर भोलू भालू लिए खड़ा होगा
मेरी प्लास्टिक की गेंद
शायद निकले एक दुलहन की तरह सजी हुई गुडिय़ा
जिसकी एक आंख गायब होगी
और बाल बिखर गए होंगे
एक ज्योमेट्री बॉक्स भी होगा
अंडरटेकर के स्टिकर के साथ
और एक वॉटर कलर पेंटिंग
जिस पर सूरज मुस्कुराता होगा
सुनो आहिस्ता खींचना इन्हें
वरना कुछ कंचे गिरकर बिखर जाएंगे
और उसके ऊपर फिसलकर भाग जाएगा
बीता हुआ वक्त
तुम चेल्पार्क की इंक से
नोट कर लेना हर एक सामान
अपने मन के उन पीले पन्नों पर
जिन्हें तुम बंद करके भूल गईं
पुरानी अठन्नियों सा फिजूल न होने देना
तुम याद का हर वह टुकड़ा
जो फेनोप्थेलीन की गोलियों सा महकता
उस पुराने बक्से में रखा है
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