कभी-कभी बहुत साधारण से लगने वाले दृश्य भी बहुत गहरा प्रभाव छोड़ देते हैं। आपने गौर किया होगा कि अक्सर कविताओं, गज़लों या
साहित्य की अन्य विधाओं में कुछ ऐसे दृश्यों का जिक्र होता है, जो कहने को तो हम रोज देखते हैं, लेकिन उस नज़र से कभी नहीं, जिससे उस कवि या रचनाकार ने उसे देखा होता है। जो कुछ हम अक्सर देखते हैं, उसमें कुछ खोज पाने की गुंजाइश के बारे में कभी सोचते नहीं। शायद इसलिए कि हमें लगने लगता है, मानो ये तो रोज की बात है, इसमें भला ऐसा क्या होगा, जिसे सहेजा जा सके। मेरे साथ तो अक्सर ऐसा होता है। कई बार ऐसी कविताएं या दूसरी चीजें पढऩे को मिल जाती हैं। फिर ख्याल आता है कि साधारण लगने वाले वाकयों को इतनी खूबसूरती से देखने और फिर उससे भी ज्यादा खूबसूरत अंदाज़ में बयान कर देने का हुनर खुदा की नेमत नहीं तो और क्या
होगा। करीब 3 साल पहले अनुराग वत्स ने बुक फेयर से लौटकर कुछ पोस्ट कार्ड्स मुझे दिए थे। इन पर विदेश के कुछ कवियों की कविताओं को हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में ट्रांस्लेट करके छापा गया था। इनमें एक कविता लार्श सोबी क्रिस्तेनसेन की थी। सोबी के बारे में बस इतना पता चल सका कि वे नॉर्वे के कवि हैं। काफी कोशिश के बाद भी बहुत ज्यादा पता नहीं चल सका, लेकिन उनकी जो कविता मैं ब्लॉग पर डाल रहा हूं, उसे पढ़कर मुझे लगा था कि कवि कहीं का भी हो, अंदर से एक जैसी प्रवृत्ति का होता है। तभी
हम कह देते हैं कि फलां सज्जन कवि हृदय है। इस कविता को पढ़कर शायद आपको भी लगे कि खूबसूरती देखने वाले की नज़रों में होती है।
सेलफोन पकड़े
इतने सारे आदमी
कभी नहीं देखे।
हर कोने पर,
फाटक पर,
बस स्टॉप पर,
कैफेटेरिया में,
पेड़ों के नीचे,
पार्क में।
लगता है
टेड्डी बियर को गाल से चिपकाए,
वे सोच रहे हैं
कि वह उनकी
हर बात समझता है।
किसी से तो
बोल रहे होंगे।
कभी-कभी सोचता हूं,
आपस में तो नहीं बात कर रहे।
हो नहीं सकता,
इतना सुंदर सपना
सच हो नहीं सकता।
3 comments:
नमस्ते,
आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।
क्या कहें आज कल की ज़रुरत बन गया है ना...
tumhe we postcard kavitayen yad rahin...mujhe sukhad aaschary hua...yah waqt to bada chanchal aur bhula dene wala hai...
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